Nepal Gen Z Protest: आखिर क्यों जल रहा है काठमांडू?
हैलो दोस्तो आज हम बात करेंगे उस खबर की जो पूरे नेपाल ही नहीं, बल्कि पड़ोसी देशों तक को हिला कर रख दी है। नेपाल की राजधानी काठमांडू इन दिनों जल रही है। संसद भवन, नेताओं के घर और सरकारी इमारतों में आगजनी हो रही है। चारों तरफ अफरातफरी मची हुई है। सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? नेपाल के नौजवान इतने नाराज़ क्यों हैं कि उन्होंने देश को आग के हवाले कर दिया?
विरोध की शुरुआत कहाँ से हुई?
कुछ दिन पहले नेपाल सरकार ने अचानक से 26 बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बैन कर दिया। इसमें WhatsApp, Facebook, Instagram और Telegram जैसे ऐप शामिल थे। सरकार का कहना था कि ये कंपनियाँ नेपाल में रजिस्टर्ड नहीं हैं और सरकार को टैक्स नहीं दे रहीं।
लेकिन आम जनता और खासकर युवाओं ने इसे कुछ और तरह से देखा। उन्हें लगा कि सरकार उनकी आवाज़ दबाने की कोशिश कर रही है। सोशल मीडिया ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है, और जब वही छीन लिया गया तो गुस्सा फूट पड़ा।
Gen Z क्यों नाराज़ है?
नेपाल की सड़कों पर जो सबसे बड़ी ताकत दिख रही है, वो है Gen Z। यानी वो पीढ़ी जो 1996 से 2012 के बीच पैदा हुई। ये बच्चे और युवा इंटरनेट और मोबाइल फोन के साथ बड़े हुए हैं।
उनकी नाराज़गी की वजह सिर्फ सोशल मीडिया बैन नहीं है।
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बेरोज़गारी लगातार बढ़ रही है।
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भ्रष्टाचार हर स्तर पर फैला हुआ है।
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नेताओं के परिवार ऐशो-आराम की जिंदगी जी रहे हैं।
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महंगाई से आम लोग परेशान हैं।
युवाओं को लगता है कि उनके पास भविष्य की कोई उम्मीद नहीं बची है।
काठमांडू की सड़कों पर क्या हुआ?
9 सितंबर को हालात पूरी तरह बिगड़ गए। हज़ारों नौजवान सड़कों पर उतर आए।
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संसद भवन को आग के हवाले कर दिया गया।
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पूर्व प्रधानमंत्रियों के घर और पार्टियों के दफ़्तर जला दिए गए।
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मॉल और दुकानों में लूटपाट हुई।
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गाड़ियाँ और सरकारी संपत्तियाँ नष्ट कर दी गईं।
पुलिस ने भीड़ को काबू करने के लिए गोलियाँ चलाईं। इसमें 22 लोगों की मौत हो गई और लगभग 200 लोग घायल हुए।
प्रधानमंत्री ओली का इस्तीफ़ा और राजनीतिक संकट
हिंसा और विरोध इतना बढ़ गया कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल को सेना की सुरक्षा में अज्ञात जगह पर ले जाया गया।
इस समय नेपाल एक तरह से बिना सरकार के चल रहा है। मंत्रियों और नेताओं को सेना हेलिकॉप्टर से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही है।
सेना का हस्तक्षेप
जब हालात पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर हो गए, तब सेना को मैदान में उतरना पड़ा।
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राजधानी काठमांडू और अन्य बड़े शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया।
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संसद भवन और अन्य सरकारी ठिकानों पर सेना का कब्ज़ा है।
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सेना ने साफ़ चेतावनी दी है कि अगर हालात नहीं सुधरे तो वे सीधे सत्ता अपने हाथों में ले सकते हैं।
Nepo Kids बनाम आम युवा
नेपाल के युवाओं के गुस्से की एक और बड़ी वजह है— Nepo Kids।
सोशल मीडिया पर पिछले कुछ महीनों से ऐसे वीडियो वायरल हो रहे थे जिनमें नेताओं और उनके बच्चों की आलीशान ज़िंदगी दिखाई गई। महंगी गाड़ियाँ, विदेशों में पढ़ाई और लग्ज़री छुट्टियाँ।
इसके उलट आम नेपाली युवा बेरोजगारी से परेशान है और काम की तलाश में विदेश जाने को मजबूर है। यही तुलना युवाओं के गुस्से को और भड़काती है।
सोशल मीडिया ही बना हथियार
सरकार ने भले ही सोशल मीडिया बैन करने की कोशिश की थी, लेकिन असल में उसी सोशल मीडिया ने इस आंदोलन को ताकत दी।
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फेसबुक ग्रुप्स और पेजों ने युवाओं को एकजुट किया।
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ट्विटर (अब X) पर हैशटैग ट्रेंड हुए।
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टिकटॉक और यूट्यूब पर विरोध के वीडियो लाखों लोगों तक पहुंचे।
युवाओं ने इंटरनेट को अपना सबसे बड़ा हथियार बना दिया।
नेपाल का अशांत इतिहास
नेपाल का इतिहास भी आंदोलनों और राजनीतिक अस्थिरता से भरा हुआ है।
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2006 में जनता ने राजशाही को खत्म कर लोकतंत्र लाया।
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उसके बाद से कई सरकारें बनीं और गिरीं।
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नेताओं के बीच खींचतान और भ्रष्टाचार कभी खत्म नहीं हुआ।
आज का विरोध उसी असंतोष का नतीजा है जो सालों से जमा हो रहा था।
आगे क्या होगा?
नेपाल का भविष्य इस समय अधर में लटका हुआ है।
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सेना सत्ता पर कब्ज़ा कर सकती है।
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राजनीतिक दल मिलकर नई सरकार बनाने की कोशिश करेंगे।
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अगर समाधान नहीं निकला तो आंदोलन और हिंसक हो सकता है।
Nepal Gen Z Protest
नेपाल का यह आंदोलन सिर्फ सोशल मीडिया बैन का विरोध नहीं है।
यह उन सभी समस्याओं का गुस्सा है जो वर्षों से युवाओं के दिल में पनप रही थीं—
भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, परिवारवाद और नेताओं की लापरवाही।
काठमांडू की आग इस बात का सबूत है कि अब युवाओं की आवाज़ को दबाना आसान नहीं होगा। हो सकता है ये आंदोलन आने वाले समय में नेपाल की राजनीति और समाज की तस्वीर बदल दे।