नेपाल इन दिनों गहरी उथल-पुथल से गुजर रहा है। काठमांडू ही नहीं, दूसरे बड़े शहरों में भी लोग सड़कों पर उतर आए हैं। जगह-जगह हज़ारों युवा इकट्ठा होकर सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी कर रहे हैं।
इस विरोध का असली कारण है – भ्रष्टाचार के आरोप और हाल में लगाया गया सोशल मीडिया बैन। लोगों का गुस्सा इतना बढ़ चुका है कि अब तक 22 लोगों की जान जा चुकी है और करीब 200 लोग घायल बताए जा रहे हैं। हालात इस कदर बिगड़े कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली पर इस्तीफ़े का दबाव बढ़ गया है।
क्यों भड़के लोग?
असल में, ये गुस्सा अचानक नहीं फूटा। पिछले कई महीनों से नेपाल के नौजवान राजनीति से बेहद नाराज़ थे।
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सरकार पर करप्शन का इल्ज़ाम लगातार लग रहा था।
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बेरोज़गारी और सिस्टम की ढिलाई से लोग पहले ही परेशान थे।
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और ऊपर से सोशल मीडिया बैन ने आग में घी डालने का काम किया।
युवा कहते हैं कि सरकार उनकी आवाज़ दबाना चाहती है। खासकर Gen Z पीढ़ी खुलकर सामने आ गई है और सड़कों पर डटकर विरोध कर रही है।
संसद में आग और झड़पें
स्थिति इतनी बिगड़ गई कि काठमांडू में संसद भवन का एक हिस्सा आग के हवाले कर दिया गया। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई जगह झड़प हुई। आंसू गैस के गोले छोड़े गए, लाठीचार्ज हुआ और सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया गया।
सोशल मीडिया पर भी आंदोलन
सरकार ने भले ही सोशल मीडिया पर रोक लगाने की कोशिश की, लेकिन युवा पीछे हटने वाले नहीं थे। VPN और अलग-अलग ऐप्स का सहारा लेकर उन्होंने अपनी आवाज़ दुनिया तक पहुंचाई। TikTok और Instagram पर #NepalProtests और #GenZArmy जैसे हैशटैग लगातार वायरल हो रहे हैं।
पीएम ओली की मुश्किलें
22 मौतों के बाद अब गुस्सा और तेज़ हो गया है। विपक्षी दल लगातार मांग कर रहे हैं कि पीएम ओली तुरंत इस्तीफ़ा दें। विपक्ष का कहना है कि सरकार हालात संभालने में पूरी तरह नाकाम रही है और जनता का भरोसा खो चुकी है।
आगे क्या?
फिलहाल नेपाल का माहौल बेहद तनावपूर्ण है। युवा कह रहे हैं कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, आंदोलन रुकने वाला नहीं है। सवाल यही है – क्या सरकार बातचीत का रास्ता अपनाएगी या फिर हालात और बिगड़ेंगे?
नेपाल में हंगामा
👉 नेपाल की ये जंग सिर्फ सड़कों तक सीमित नहीं है, बल्कि डिजिटल दुनिया से लेकर संसद तक हर जगह छिड़ चुकी है। युवा पीढ़ी सरकार को साफ संदेश देना चाहती है – बदलाव अब ज़रूरी है।